ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | 2 | |||||
3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 |
17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 |
24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 |
31 |
شبم خالی ز هر قصیده ایست
چشمانم حتی نه به راهی و نه محتاج نگاهی دیگر
من و تنهایی من .. باز اسیریم در شب
به خودم می گویم :
فردا باز به روی امشب .. خط خواهد زد
کاش فردا زودتر برسد
می هراسم از شب تنهایی خویش